Abhishapt RoopKund – क्या मौत जिंदगी का अंत है? क्या वास्तव में मृत्यु के बाद सब कुछ समाप्त हो जाता है। यदि नहीं तो फिर इस रुपकुण्ड में अटल क्या करने आया था?
रुपकुण्ड का अर्थ यहां किसी रूपवती या बेहद ही मनोरमा सी दिखने वाली स्त्री से नहीं हैं बल्कि हड्डियों से लबरेज झील से हैं, जहां मुर्दे वास करते हैं और कंकालों से पटी पड़ी इस झील को बनाती हैं, रूपकुंड झील।
आखिर यह सारे मुर्दे हर अमावस की रात कैसे फिर से जागृत हो जाते थे? रूपकुंड झील में तैरते नरकंकालों का क्या रहस्य है? आखिर किस उद्देश्य के लिए पिशाचिनी ने इन नरकंकालों को 200 वर्षों से बंधक बनाया हुआ था? आखिर ऐसा कौन सा राज था जिसे जानने अटल इस मुर्दों के झील तक आने को विवश होना पड़ा था?
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Abhishapt RoopKund
₹399.00
Published By Fly Dream
Weight | 0.4 kg |
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Dimensions | 20 × 13 × 3 cm |
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Pages | 460 |
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